आज के दैनिक भास्कर में दो खबरें छपी हैं । एक खबर , ऑस्ट्रेलिया की केनबरा आर्ट गैलरी , भारत की कुछ पुरानी कलाकृति ,
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आज से मैं श्री उवसग्गहरं दादा की छत्रछाया में हूँ : चातुर्मास प्रवेश का प्रवचन
भारतीय संस्कृति में अजामिल की कथा प्रसिद्ध है . अजामिल विचित्र आदमी था . गुस्सैल . कंजूस . स्वार्थी . शिकारी . हिंसक . आचार
उवसग्गहरं चातुर्मास प्रवेश की पूर्वसंध्या
सोचा भी नहीं था कि चातुर्मास , उवसग्गहरं तीर्थ में होगा . गुजराती में एक मुहावरा है – ધાર્યું ધણીનું થાય છે . मतलब कि
श्री उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययनों का सारांश : भाग ६
—————- ३० . तपो मार्ग गति अध्ययन —————- १ . आहार संबंधी चार तप को आचरण में लाए . अनशन . उनोदरी . वृत्तिसंक्षेप .
श्री उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययनों का सारांश : भाग ५
————- २३ . केशी गौतमीय अध्ययन ————- १ . धर्म विषयक मत भेदों को द्वेष का हेतु नहीं बनाना चाहिए . २ . धर्मात्माओं को सन्मान
श्री उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययनों का सारांश : भाग ४
——————– १७. पाप श्रमणीय अध्ययन ——————– १. शरीर का रोग लाचारी है . शरीर का राग दोष है . २. साधना कें नियम अखंड रहे
श्री उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययनों का सारांश : भाग ३
————– १२ . हरिकेशीय अध्ययन ————– १ . व्रत और नियम का पालन करें . २ . स्वयं के सद् गुणों का विकास करते रहे