कामठी प्रवचन ( क्रमांक १ से क्रमांक ८ तक )

१ . आप पैसों में से नए पैसे बनाते हो वो जैसे दुनियादारी हिसाब से आवश्यक है वैसे आप वर्तमान पुण्य में से नया पुण्य

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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . ८ : काय गुप्ति

शरीर को पाप प्रवृत्तियों से दूर रखना इसे काय गुप्ति कहते है . इसका पूर्ण पालन साधु जीवन में संभवित है .  तीन बाते याद रखें

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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . ७ : वचन गुप्ति

वाणी से धर्म विरहित वचन न बोलना , उसे वचन गुप्ति कहते है . इसका पूर्ण पालन साधु जीवन में संभवित है . तीन बातें याद

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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . ६ : मनो गुप्ति

मन को अशुभ विचारों से मुक्त रखना यह मनो गुप्ति है . इसका पूर्ण पालन साधु जीवन में संभवित है .  तीन काम करने चाहिए मन के

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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . ५ : पारिष्ठापानिका समिति

शरीर के उत्सर्ग का परित्याग अहिंसक तरीके से हो इसकी पूर्ण सावधानी रखना उसे पारिष्ठापानिका समिति कहते है . साधु साध्वी इस समिति का पूर्णत:

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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . ४ : निक्षेपणा समिति

निक्षेपणा समिति जीवदया का पालन करने का तरीका सिखाती है . जो भी साधन सामग्री हम उपयोग में लेते है उन्हें उठाने में , रखने

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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . ३ : एषणा समिति

एषणा समिति का पालन मुख्य रूप से साधु साध्वी के द्वारा होता है . आहार ग्रहण संबंधी विविध मर्यादाओं का पालन करना यही एषणा समिति

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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . २ : भाषा समिति

वाणी को मर्यादा और संयम से बांध के रखना वह भाषा समिति है . तीन बातें याद रखिये . १ . बोलते समय मुख के

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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . १ : ईर्या समिति

चारित्र आचार में पाप परिहार की प्रधानता होती है . प्रथम चारित्र आचार है ईर्या समिति . एक स्थान से अन्य स्थान जाने में जीवदया

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जैन सिलेबस : दर्शन आचार . ८ : प्रभावना

प्रभावना का अर्थ है अन्य को प्रभावित करना . प्रभावना का अर्थ है अन्य को आकर्षित करना . जिसे जैन धर्म मिला नहीं है उसे

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