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जैन सिलेबस : तप आचार . ४ : रस त्याग

रस त्याग अर्थात् स्वादिष्ट द्रव्य का त्याग .
आप को जो आईटम खाने में प्रिय अथवा अति प्रिय लगती है उसका त्याग करना चाहिए .
रस त्याग एक दिन के लिए भी हो सकता है .
रस त्याग एक से अधिक दिनों के लिए भी हो सकता है .
रस त्याग जीवनभर के लिए भी हो सकता है .

रस त्याग के विषय में तीन बातें हैं .

१ .
निम्न लिखित अनुसार छह विगई का त्याग कर सकते हैं .

+ दूध का त्याग . दूध से बनें सभी द्रव्यों का त्याग .
+ दहीं का त्याग . दहीं से बनें सभी द्रव्यों का त्याग .
+ घी का त्याग . घी से बनें सभी द्रव्यों का त्याग .
+ तेल का त्याग . तेल से बनें सभी द्रव्यों का त्याग .
+ गुड एवं सक्कर का त्याग .
गुड एवं सक्कर से बनें सभी द्रव्यों का त्याग .
+ घी एवं तेल में तले हुएं सभी द्रव्यों का त्याग .

किसी एक विगई का त्याग भी हो सकता है .

२ .
हमें जो अतिप्रिय है ऐसे द्रव्य का त्याग करने से रस त्याग होता है .
३ .
आंबेल में विगई एवं वनस्पति का त्याग होता है .
नीवि में आंशिक रूप से विगई का त्याग होता है .

यथा संभव आंबेल और नीवि तप करना चाहिए . 


स्वाध्याय –

१ . रस त्याग किसे कहते है ?
२ . रस त्याग का प्रथम प्रकार क्यां है ?
३ . रस त्याग का द्वितीय प्रकार क्यां है ?
४ . रस त्याग का तृतीय प्रकार क्यां है ?

 

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