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जैन सिलेबस : तप आचार . १ : अनशन

तप के बारह प्रकार हैं .
छह प्रकार बाह्य तप के हैं .
छह प्रकार अभ्यंतर तप के हैं .
बारह प्रकार के तप का पालन यथासंभव करना चाहिए .
प्रथम प्रकार है अनशन .
आहार के परित्याग से अनशन होता है .
अनशन को उपवास भी कहा जाता है .
तीन बातें हैं .
१ .
उपवास में कुल मिलाकर ३६ घंटे तक आहार का त्याग होता है . उपवास से पूर्व के दिन रात्रिभोजन का त्याग करना चाहिए जिससे बारह घंटे का आहार त्याग होता है . उपवास के दिन और उपवास की रात में भी आहार त्याग होता है . इस प्रकार एक उपवास में ३६ घंटे तक आहार का त्याग होता है .
२ .
उपवास में रात के समय जल पान नहीं कर सकते है . उपवास में दिन के समय अचित्त जल पान कर सकते है .
३ .
एक दिन के अनशन को एक उपवास कहते है .
दो उपवास को छठ कहते है .
तीन उपवास को अठ्ठम कहते है .
आठ उपवास को अठ्ठाई कहते है .
तीस उपवास को मास क्षमण कहते है .
आज के समय एक साथ १८० उपवास करने की अनुमति है .

अनशन का तप तीर्थंकरों ने एवं पूर्व महापुरुषों ने बहोत बार किया है . हमे भी अनशन का तप करना चाहिए .

—-
स्वाध्याय –

१ . अनशन किसे कहते है ?
२ . अनशन का प्रथम मुद्दा क्यां है ?
३ . अनशन का द्वितीय मुद्दा क्यां है ?
४ . अनशन का तृतीय मुद्दा क्यां है ?

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