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चातुर्मास प्रवचन – 5

आप को जो कुछ मिला है वह अन्य लाखो लोगो को नही मिला है . आप को जो मिला वह साधारण नही है . आप सुन सकते हो . आप बहरे नही हो . आप बोल सकते हो . आप गूंगे नही हो . आप देख सकते हो . आप अंधे नही हो . आप चल सकते हो . आप लंगडे नही हो . आप श्रीमन्त हो .आप गरीब और भिखारी नही हो . आप पढ़ेलिखे हो . आप अनपढ़ गवार नही हो . और ये सब कोइ छोटी बात नही है . आप को जो मिला है वह बेशकिमती है . आप उसे आत्मसंतोष से देखिये .
आप को जो रोजरोज मिलता है वह साधारण लगता है . माता , पिता , पति , पत्नी , भाइ , बहन , मित्र ये सब रोज मिलते है तो हमे लगता है ये आसानी से मिल गये है . याद रखिये आज लाखो लोग ऐसे स्वजनो से वंचित होकर झिंदगी चला रहे है . आप के सिर पर वैसा अकेलापन नहीं है . आप का सद् भाग्य
आप को साथ दे रहा है उसे समझिये और समझदारी से सद् भाग्य को बढावा दीजिये . जो मिला है उसकी कद्र जो नही करता है वह कुछ नया हांसिल नही कर सकता है .
आप आज सुबह मरे नही बल्कि जिंदा रहे इससे बडा पुण्य कया हो सकता है आप का ? अपने वर्तमान को
अहोभाव से देखो . जो नही मिला है उसके किये रोनेकी कोई जरूरत नहीँ है क्योकि कि जो मिला है वह अतिशय मूल्यवान है . छोटी छोटी इच्छाए अधुरी रहे उससे यह फलित नहीँ होता कि आप दुःखी है . आप का मन सही तरीके से सोचे यह आवश्यक है . जो लाखो लोगो को नही मिला है वह आपने सालो से हासिल कर लिया है . अफसोस या इर्षा या लघुताग्रंथि को मन में कोइ जगह मत दो .

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