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आप की पात्रता ही आप की सब से बड़ी ताक़त है 

आप के पास पैसा है लेकिन क्यां आप पैसा रखने के काबिल है इस सवाल का जवाब ना में आ सकता है अगर आप तीन-चार साल के बच्चे हैं तो . सवाल पात्रता का है . आप के पास मिठाई है लेकिन क्यां आप मिठाई खा सकते हैं इस सवाल का जवाब ना में आ सकता है अगर आप किसी गंभीर रोग में फंसे हैं तो . सवाल पात्रता का है . आप के पास बड़ी गाड़ी है लेकिन क्यां आप बड़ी गाड़ी चला सकते हैं इस सवाल का जवाब ना में आ सकता है अगर आप को गाड़ी चलाना नहीं आता हैं तो . सवाल पात्रता का है . आप को कुछ मिल गया इसका मतलब यह नहीं है कि आप उसके लिए सुपात्र हो . हो सकता है आपको जो मिला उसके काबिल आप ना भी हो . यहां पर दो ऑप्शन है. ऑप्शन वन , आप में पात्रता नहीं है लेकिन आप पुरूषार्थ करके पात्रता को जागृत कर लेते हैं . अगर ऐसा होता है तो आपको जो मिला उसके लिए आप सुयोग्य साबित हो जाते हैं . आप धन्य हो गए . ऑप्शन टु , आप में पात्रता थी ही नहीं और पात्रता आई भी नहीं इसी वजह से आपको जो मिला है उसे आप गंवा देते हैं . आप शून्य हो जाते हैं .

श्रीपाल राजा को नवपद जी मिले थें . इस के बाद श्रीपाल राजा ने नवपद जी के लिए अपनी पात्रता को विकसित की थी . ऐसा भी कह सकते हैं की नवपद जी की आराधना के कारण श्रीपाल राजा की पात्रता विकास के राह पर आगे निकल पड़ी थी . पात्रता कहां-कहां कैसे-कैसे प्रगट होती रही , कथा कें प्रसंगों में देखने मिलता है . 

+ मां कमलप्रभा ने जब बाल श्रीपाल को ७०० कुष्ठ रोगियों के साथ छोड़ा था तब श्रीपाल की उम्र सब से छोटी थी . लेकिन कहानी में ७०० कुष्ठरोगीं जब उज्जैन आते हैं तब श्रीपाल युवान हो चुका है और ७०० कुष्ठ रोगियों का नेता बन चुका है . कुछ तो होगा जिसके कारण सबसे छोटी उम्र का व्यक्ति सबसे बड़े पद पर आसीन हो जाता है . सहज भाव से अन्य को आदर देना यह पात्रता की प्रथम निशानी है , जो श्रीपाल राजा में दिखती है . हालांकि श्रीपाल  स्वयं भयानक कुष्ठ रोग में फंसे हुए हैं . 

+ उज्जैनी का राजा प्रजापाल और दूसरी राजकुमारी मयणा सुंदरी के बीच में एक विखवाद हो चुका था जिसकी वजह से राजा प्रजापाल ने अपनी राजकुमारी मयणासुंदरी का विवाह श्रीपाल से करवाना चाह रहा था . लेकिन श्रीपाल ने राजा को जवाब दिया था कि आपकी राजकुमारी का विवाह मेरे साथ हो यह कतई उचित नहीं है , मुझे यह प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है . आपको जो उत्तम सामग्री मिल रही है या उत्तम सम्मान मिल रहा है उसका स्वीकार करने में आपको संकोच हो रहा है यह आपकी पात्रता की द्वितीय निशानी है . अगर आप पात्रता से वंचित है तो आपके मन में उत्तम सामग्री या उत्तम सम्मान के लिए लालसा जग सकती है एवं उत्तम सामग्री या उत्तम सम्मान के कारण अहंकार जग सकता है . जो उत्तम सामग्री या उत्तम सन्मान की लालसा से अथवा अहंकार से मुक्त रहते हैं वहीं पात्रता संपन्न होता है . हालांकि मयणासुंदरी ने स्वभान पूर्वक श्रीपाल का हाथ पकड़ लिया था . राजा एवं सभा ने इसे ही विवाह मान लिया था . 

+ श्रीपाल ने एकांत में मयणा सुंदरी को कहा था कि मैं नहीं मानता हूं कि हमारा विवाह हुआ है , मेरी तरफ से आप मुक्त हो और आप को वापस जाना है तो आराम से जा सकते हैं . राजसभा में जो भी हुआ हो लेकिन हमारा विवाह हुआ है ऐसा विचार मैंने बनाया ही नहीं है . अपने स्वार्थ के लिए अन्य किसी को हम दुःखी नहीं बनाएंगे , यह मानसिकता ही पात्रता की तृतीय निशानी है . हालांकि मयणा सुंदरी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि हमारा विवाह हो चुका है , यही सत्य है . 

+ अगले दिन सुबह श्रीपाल एवं मयणा , श्री आदिनाथ भगवान् के जिनालय में गए थें वहां उन्हें दैवी संकेत मिला था . बाद में श्रीपाल एवं मयणा श्री मुनिचंद्रसूरीश्वरजी म. को मिलें थें . सूरि भगवंत ने उन्हें सिद्धचक्र की आराधना का उपदेश दिया‌ . श्रीपाल एवं मयणा ने आत्मशुद्धि का लक्ष्य बनाकर सिद्धचक्र की आराधना की थी . श्रीपाल रोग मुक्त हो गया . साधकगुरु से मार्गदर्शन मांगना , जो मार्गदर्शन मिला उसे स्वीकार लेना एवं मार्गदर्शन के अनुसार प्रवृत्ति करना , यह है पात्रता की चतुर्थ निशानी . 

+ श्रीपाल और मयणा को श्री संघ ने निवास की व्यवस्था दी थी . थोड़े दिनों में श्रीपाल की माता कमलप्रभा उन्हें आ मिली . कुछ दिनों के बाद मयणा सुंदरी की माता कमलप्रभा उन्हें आ मिली . कुछ दिनों के बाद मयणा सुंदरी की माता रूपसुंदरी उन्हें मिली . कुछ दिनों के बाद मयणा सुंदरी के पिता प्रजापाल राजा भी मिलें . तीनों को जब पता चला कि सिद्धचक्र की आराधना से श्रीपाल के रोग का नाश हुआ है तो तीनों को सिद्धचक्र के लिए श्रद्धा बढ़ गई थी . अन्य लोगों को उत्तम प्रेरणा मिले इस तरह का जीवन जीना यह है पात्रता की पंचम निशानी . 

आप की पात्रता पर आप को काम करना ही होगा . आप को मिली हुई सामग्री या परिस्थिति तभी सफल होगी जब आप की पात्रता सशक्त हो . आप की पात्रता ही आप की सब से बड़ी ताक़त है .

Comments (2)

  • Nilesh Jainsays:

    April 8, 2025 at 6:02 am

    बहुत बहुत ही सुंदर तरीके से आपने पात्रता और पात्र के बारे मे समजा या धन्य धन्य हो मुनिवर त्रिकाल वंदना🙏🙏🙏

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