कोरोना काल की सरकारी एवं सामाजिक नियमावली का पालन हो रहा है और होना जरूरी है , मैं मानता हूँ . साथसाथ , एक नया चित्र जो कोरोना काल में बना है उसे गौर से देखना चाहिए . जैन परिवारों में तीन नयी आदतें पनप रही हैं या पनप चुकी हैं .
आदत . १
कुछ लोगों में धर्म का आलस्य बढ़ा है – देव , गुरु एवं धर्म की उपेक्षा बढ़ी है . कुछ लोग जरूर देव , गुरु एवं धर्म से जुड़े रहे है . पर एक वर्ग ऐसा बन गया है जो अपने धर्म में आलस्य को बढ़ा चुका है . यह वर्ग मानने लगा है कि मंदिर नहीं गएं तो चलेगा , गुरु भगवंत को नहीं मिले तो चलेगा , तप एवं क्रियाएं नहीं की तो चलेगा . कोरोना का टाईम चल रहा है तो दूर रहो धर्म से . यह मानसिकता खतरनाक है .
धर्म को आदत में लाना मुश्किल होता है . धर्म की आदत का छुट जाना सरल होता है . जिसकी जिसकी आदत छुट गई उसका वापिस जुडना या उसको वापिस जोडना कठिन होगा . धर्म में आए आलस्य से सचेत रहना होगा .
आदत . २
कुछ लोग , धर्म से दूर रहने में गौरव महसूस करने लगे हैं . धर्म से दूर रहने पर पछतावा होना चाहिए . धर्मप्रेमीओं का एक विशाल वर्ग हैं जो देव-गुरु-धर्म का संपर्क कम होनेका पछतावा महसूस कर रहा है लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो देव-गुरु-धर्म के संपर्क से दूरी बनाकर खुश है . इन लोगों को इस बात का घमंड है कि वो देव-गुरु-धर्म से दूर रहते हैं . कोरोना काल ने यह आदत दी है . इस आदत से सावधान रहना होगा .
आदत . ३
कुछ लोग विरोध एवं समीक्षा में लगे हुए है . ये लोग मंदिर की किसी गतिविधिओं का विरोध एवं समीक्षा करते रहते है . ये लोग गुरु भगवंतों की किसी प्रवृत्तिओं का विरोध एवं समीक्षा करते रहते है . ये लोग ट्रस्टीओं की , कार्यकर्ताओं की और धर्मात्माओं की किसी न किसी प्रवृत्तिओं का विरोध एवं समीक्षा करते रहते है . इन लोगों को समाज की चिंता है जो जरूरी है . लेकिन विरोध एवं समीक्षा के चक्कर में आमन्याओं का एवं विवेक का भंग नहीं होना चाहिए . कोरोना का नाम ले लेकर विरोध एवं समीक्षा करने की जो आदत कुछ लोगों में दिख रही हैं वह भी कोरोना काल का ही योगदान है . अन्यथा ये लोग इस तरह विरोध एवं समीक्षा करते हुएं दिखे नहीं हैं कभी . हमे विवेकविहीन विरोध एवं समीक्षा को आत्मसंयम से रोकना होगा .
तीनों आदतें विचित्र हैं . आप को ऐसा कोई विचित्र भाग्यशाली मिला ही होगा . उसे दूर से हाथ जोड़कर रहने में सलामती है . वर्ना वह आप को भी ऐसी आदतें लगाने की कोशिश करने लगेगा .
याद रखना :
+ धर्म में आलस्य नहीं होना चाहिए .
+ धर्म से दूर रहने का पछतावा होना ही चाहिए .
+ बातोंबातों में धर्मविरोधी रवैया नहीं रखना चाहिए .
कोरोना से बचना/बचाना जरूरी है वैसे स्व-पर की आत्माओं का कल्याण भी अतिशय आवश्यक है .
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