सोने का संग पाकर चांदी भी सोने की तरह दिखने लगती है वैसे उत्तम लोगों के संपर्क में बने रहने से साधारण आदमी उत्तम बन जाता है .
आप तपस्या न कर सके फिर भी तपस्वी के संग में रह सकते है . आप व्रत न ले सके फिर भी व्रतधारी का सांनिध्य पा सकते है . आप ज्ञान उपार्जित न कर सके फिर भी ज्ञानी की निश्रा में रह सकते है .
आप गा न सके फिर भी गायक के संग मे रह सकते है . आप व्याख्यान दे न सके फिर भी व्याख्यान दाता के समक्ष बेठकर उसे सुन तो सकते है . उत्तम पुरुषो की वाणी सुनने से हमारे संस्कार ऊपर उठने लगते है . सोना और चांदी दोनों में अंतर है . चांदी के गहनों पर सोना चढ़ाने से चांदी की शोभा बढ़ती है वैसे जीवन में उत्तम संस्कारवान सत्पुरुषों का सत्संग रखने से जीवन की शोभा बढ़ती है . अपने समय को संपत्ति और परिवार में बांटने की आदत बदलकर साधुजन , साधर्मिक और सज्जनों को विशेष समय देना शुरु कर दो .
हम अकेले हाथ बडे काम नहीं कर पाते हैं . सत् संगति में रहने से बडे काम आसानी से सम्पन्न हो जाते है.
चातुर्मास प्रवचन – 3
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