चारित्र आचार में पाप परिहार की प्रधानता होती है .
प्रथम चारित्र आचार है ईर्या समिति . एक स्थान से अन्य स्थान जाने में जीवदया पालन की जागृति रखने से ईर्या समिति का पालन होता है .
ईर्या समिति का पालन आजीवन भी हो सकता है .
ईर्या समिति का पालन एक दिन या एक रात के लिए भी हो सकता है .
ईर्या समिति का पालन कुछ घंटों के लिए भी हो सकता है .
तीन बातें याद रखनी चाहिए .
१ .
किसी भी प्रकार के वाहन में बैठकर प्रवास नहीं करना चाहिए . केवल पदयात्रा से प्रवास करना चाहिए .
२ .
पैदल चलते समय , रास्ते पर इसप्रकार नज़रे रहनी चाहिए कि पैरों के निचे कोइ जीव जंतु न आ जाये .
३ .
वाहन से प्रवास करना हो तब भी रात्रि के समय वाहन प्रवास नहीं करना चाहिए क्योंकि रात के समय अंधेरे के कारण जीवहिंसा की संभावना सविशेष बनी रहती है .
स्वाध्याय –
१ . ईर्या समिति का पालन किस प्रकार हो सकता है .
२ . ईर्या समिति का प्रथम नियम क्यां है ?
३ . ईर्या समिति का द्वितीय नियम क्यां है ?
४ . ईर्या समिति का तृतीय नियम क्यां है ?
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