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धर्मचिंतन – ३

 
आप ने आज तक 
जो धर्म किया है 
उससे अधिक धर्म 
और 
उससे बहेतर धर्म 
आप कर सकते हैं .
आप अपने धर्म को 
बढाते रहिए .
आप अपने धर्म को 
बहेतर बनाते जाइए .
आप जहां हैं 
वहां रूको मत .
आप आगे बढो .
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पू.मुनिभगवंतश्री प्रशमरतिविजयजी म. 

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