आत्म प्रशंसा से विचार भेद बनता है

मयणा सुंदरी की माता थी रूप सुंदरी . वह प्रजापाल राजा की द्वितीय रानी थी…

सिद्धचक्र का माहात्म्य

१ . जब जब धर्मतीर्थ की स्थापना होती है तब तब गणधर भगवंतों के द्वारा…

दुष्ट दुष्ट रहता है और सज्जन सज्जन रहता है

दुष्ट लोग स्वभावत: दुष्ट होते हैं . सज्जन लोग स्वभावत: सज्जन होते हैं . धवल…

नवपद आराधना की अनुमोदना भी आगामी भव में शुभ फल देती है

हम धर्म थोड़ा ही कर सकते हैं , जितनी हमारी शक्ति होती है उतना ही…

परोपकार की शक्ति : जीवन की समृद्धि

अन्यों का जीवन कैसा होगा यह आप के हाथ में नहीं है . अन्यों के…