तुम जब सोचते हो कि किसीकी वजह से मुझे रोग नहीं होना चाहिए तब तुम स्वार्थी बन जाते हो . तुम जब सोचोंगे कि मेरी वजह से किसी का दुःख बढ़ना नहीं चाहिए तब तुम स्वार्थी नहीं रहोंगे . तुम स्वार्थी बन कर सोचोंगे तो तुम्हें नेगेटिव थॉट्स आने लगेंगे . नेगेटिव थॉट्स अव्यवस्था लाते हैं . तुम मानवता एवं सहानुभूति से सोचो और पॉज़िटिव थॉट्स बनाए रक्खो . पॉज़िटिव थॉट्स व्यवस्था लाते हैं .
भारत के साधुसंत आजतक यही उपदेश देते आएं हैं कि मंदिर जाओ और मंदिर में अधिक से अधिक समय बिताओ . इतिहास में प्रथम बार हो रहा है कि सरकार एवं साधुसंत के द्वारा मंदिर में जाने का निषेध हुआ है . बात नास्तिकता की नहीं है . बात केवल संक्रमण की है . भीड़ होगी तो अनजान आदमी से संपर्क होगा . किसके जीवाणु और विषाणु , किसमें संक्रमित हुएं , पता हीं नहीं चलेगा . कल महाराष्ट्र राज्य की सरकार ने जाहिर किया है कि मंदिर की अर्चना एवं शेषविधि केवल पूजारी एवं धर्मगुरु के द्वारा होगी . सामान्य जनता , मंदिर से दूर रहेगी .
अब भक्तों की परीक्षा है . भगवान के पास आना है या भगवान से दूर रहना है , तय करना होगा . हमारे श्वासोच्छ्वास , संक्रमण की वजह बन सकते हैं . हमारा स्पर्श , संक्रमण की वजह बन सकता है . अन्य के श्वासोच्छ्वास , संक्रमण की वजह बन सकते हैं . अन्य का स्पर्श , संक्रमण की वजह बन सकता है .
आप की वजह से किसी को संक्रमण हो यह नहीं होना चाहिए . खौफनाक बात यह है कि अन्य की वजह से आपको भी संक्रमण हो सकता है . एकबार आपको संक्रमण हुआ फिर वह – आप के घर में , आपकी सोसायटी में , आपके महोल्ले में , आप के संघ में , आप के समाज में – फ़ैल सकता है . हो सकता है कि गलती आपकी हो और सजा अन्य को हो . हो भी सकता है कि गलती आपकी न हो और सजा अन्य को हो .
थियरी यह बताई जाती है कि जिसका ऊर्जातन्त्र सुदृढ़ है उसके शरीर में वायरस आए भी तो वो नाकाम रहते है . यहां दो बात है . पहली बात . आप अपने ऊर्जातन्त्र पर भरोसा मत रखो , गड़बड़ हो सकती है . दूसरी बात . मान लिया कि आपका ऊर्जातन्त्र मजबूत है . पर आपके संपर्क में जो आएगा उसका क्यां ?
संभल जाओ . रुक जाओ . भीड़ से दूर रहो . भीड़ मत बनाओ . भीड़ का हिस्सा मत बनो .
मंदिर , उपाश्रय , स्थानक , भोजनशाला , धर्मशाला , आंबेलशाला एवं तीर्थस्थल फिलहाल बंध है क्योंकि संभवित संक्रमण को रोकना है . अपने अपने फेमिली डॉक्टर को पूछकर संक्रमण की थियरी समझ ले . वोट्सप पंडितों की फोरवर्डेड चिकित्सा बुद्धि , कोइ काम की नहीं है . सरकारी सूचनाएँ ध्यान से सुनो और मानो .
हमारी वजह से संघ को या संघ के एक भी सभ्य को तकलीफ नहीं आनी चाहिए . Better to say कि हमारी वजह से देश को या देश के एक भी सभ्य को तकलीफ नहीं आनी चाहिए .
आप मंदिर में जितना समय भगवान् के साथ बिताते थें उतना ही समय घर में भगवान् के मंत्रजाप आदि में बिताए . आप को मंदिर की जगह घर में भक्ति करनी है . प्रतिदिन जो समय भगवान् को दिया जा रहा है उसमें कटौती मत करना . आप धर्म स्थान में जितना समय प्रवचन श्रवण आदि में बिताते थें उतना ही समय घर में स्वाध्याय को देना . टीवी मोबाइल के चक्कर में भक्ति और स्वाध्याय का समय कम मत कर देना .
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