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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . ८ : काय गुप्ति

शरीर को पाप प्रवृत्तियों से दूर रखना इसे काय गुप्ति कहते है . इसका पूर्ण पालन साधु जीवन में संभवित है . 
तीन बाते याद रखें .

१ .
हिंसा , मृषावाद , चोरी , मैथुन , परिग्रह एवं रात्रिभोजन जैसे बड़े बड़े पापों से स्वयं को दूर रखना चाहिए .
२ .
शरीर को आनंद प्रमोद एवं सुख सुविधाओं से दूर रखना चाहिए .
३ .
शरीर के द्वारा सामायिक , प्रतिक्रमण , पौषध , उपधान , काउसग्ग जैसी निर्वृत्ति प्रधान धार्मिक गतिविधि करनी चाहिए .

स्वाध्याय –
१. काय गुप्ति किसे कहते है ?
२ . काय गुप्ति का प्रथम नियम क्यां है ?
३ . काय गुप्ति का द्वितीय नियम क्यां है ?
४ . काय गुप्ति का तृतीय नियम क्यां है ?

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