शरीर के उत्सर्ग का परित्याग अहिंसक तरीके से हो इसकी पूर्ण सावधानी रखना उसे पारिष्ठापानिका समिति कहते है . साधु साध्वी इस समिति का पूर्णत: पालन करते है .
तीन बाते हैं .
१ .
शरीर से मल – मूत्र – कफ आदि कचरा निकलता है वह स्वाभाविक रूप से सूख जाए तब उसमें सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति नहीं होती है . अन्यथा उसमें दो घड़ी में सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति होने लगती है . ये सूक्ष्म जीवों के जन्म मरण का चक्र अविरत चलता है . जिस के देह का मल होता है उसे सूक्ष्म जीवों के प्रत्येक मरण का पाप लगता है . शारीरिक मल आदि का परित्याग ऐसे करना चाहिए कि जीव विराधना न हो .
२ .
आहार कें द्रव्य को झूठा नहीं छोडना चाहिए .
पानी या पेयजल को भी झूठा नहीं छोडना चाहिए .
झूठा छोड़ने से बहोत बड़ा पाप लगता है .
३ .
किसी भी प्रकार के गीले कपड़े को इस तरह सुकाए कि वो कपड़ा ४८ मिनिट में सूक जाए . ४८ मिनिट से अधिक समय जो वस्त्र गीला रहता है उसमे सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति हो जाती है .
स्वाध्याय
१ . पारिष्ठापानिका समिति किसे कहते है ?
२ . पारिष्ठापानिका समिति का प्रथम प्रकार क्यां है ?
३ . पारिष्ठापानिका समिति का द्वितीय प्रकार क्यां है ?
४ . पारिष्ठापानिका समिति का तृतीय प्रकार क्यां है ?
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