अपनी भूख से थोड़ा कम खाना यह उणोदरी तप है . तीन बातें हैं .
१ .
आप भोजन ग्रहण करने बैठते हो तब दबादबा के खाने की वृत्ति रखते हो . पेट भर के खाना आरोग्य के लिए अनुकूल नही होता है . थोड़ा कम खाना चाहिए . समझो कि आप पांच रोटी खा सकते हो लेकिन आप तीन या चार रोटी खाकर रुक जाते हो , एक या दो रोटी कम खाते हो . जितना कम खाया उतनी उणोदरी बड़ी हो जाती है .
२ .
खाना जूठा छोड़ना नहीं चाहिए . थाली धोकर पीने की विधि सिख लो . रोज थाली धोकर पीने की आदत रखो . फायदा यह मिलेगा कि जूठा छोड़ना बंद हो जायेगा .
३ .
हम पीनेका पानी लेते है . गिलास में जितना भरा है उतना पानी पी लेना चाहिए लेकिन कभीकभार थोड़ा पानी पीकर बाकी पानी को फेंक देते है . बर्तन , बोतल , गिलास में जो पानी बचा है उसे बर्बाद न करे . पानी का दुर्व्यय कम करना भी बहोत आवश्यक है .
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स्वाध्याय –
१ . उनोदरी किसे कहते है ?
२ . उनोदरी का प्रथम प्रकार क्यां है ?
३ . उनोदरी का द्वितीय प्रकार क्यां है ?
४ . उनोदरी का तृतीय प्रकार क्यां है ?
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