श्री सुमतिनाथ जैन मंदिर , रामदास पेठ , नागपुर में बिराजित पूज्य मुनि भगवंत श्री प्रशमरतिविजयजी म. ने एक संवाद में बताया कि –
फिलहाल हम सब अपने जीवन में प्रथम बार ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जो अकल्पित है . प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने २२ मार्च के दिन जनता कर्फ्यू का एलान किया है . कोरोना वायरस के संक्रमण से सोसायटी को , गाँव को , नगर को , राज्य को एवं देश को बचाया जा सके इसीलिये यह एलान किया गया है . इस एलान को सरकारी आदेश मानकर हमे कड़क पालन करना चाहिए .
जो भी प्रभु भक्त है वो २२ मार्च के दिन , अपनीअपनी पूजा संपन्न करके सुबह सात बजे से पूर्व अपने घर वापिस पहुंच जाएं . विश्वास रखें कि मंदिर में जो पुजारी है वो शेष विधि संभाल लेंगे .
ख़ास चिंता जैन मुनि भगवंतो की है . जैन साधु साध्वी , पदयात्रा करते हुए भारत के विभिन्न राज्यों में परिभ्रमण करते हैं . अधिकांश साधु साध्वी ने विहार स्थगित कर दिया है . २२ मार्च के दिन कोइ भी साधू साध्वीजी , पद विहार के लिए मकान से न निकले इसका ध्यान , जैन संघ को रखना चाहिए . दूर दूर के गाँव तक यह बात पहुंचानी चाहिए एवं उचित व्यवस्थाएं बना लेनी चाहिए .
जैन साधू साध्वीजी प्रतिदिन गोचरी के लिए भी मकान से बाहर निकलते है , क्योंकि निर्दोष भिक्षा ग्रहण श्रमणचर्या का हिस्सा है . २२ मार्च के दिन कोइ भी साधू साध्वीजी , किसी भी प्रयोजन से मकान के बाहर न निकले यह भी अति आवश्यक है . महात्माओं की मंगलकारी भिक्षाचर्या को किसी अन्य व्यवस्था के द्वारा हम संपन्न करवा सकते हैं .
२२ मार्च के दिन जो साधू साध्वी विहार यात्रा में है उनके लिए ऐसी व्यवस्था हो जानी चाहिए कि उसदिन वो विहार भी न करें एवं गोचरी भी उपलब्ध हो सके .
महामारी से बचने – बचाने के लिए जो व्यवस्थाएं , सरकार बना रही है उसमें हमे पूर्णतः सहयोगी होना चाहिए . अगर हम अपने व्यक्तिगत धर्म के लिये किसी भी व्यवस्था का भंग करते हैं तो हमारे कारण समूचा धर्म बदनाम हो सकता है . हमे ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए .
परिस्थिति ऐसी भी है कि जो अनुशासन में रहा वह रोग से बच सकता है . जो अनुशासन में नहीं रहा वह स्वयं रोग में फंस सकता है एवं अन्य को रोग में फंसा सकता है . कोइ भी समज़दार ऐसी गलती करेंगा नहीं .
श्री जयवीयराय सूत्र में लिखा गया है कि धर्मात्मा , लोक विरुद्ध प्रवृत्ति का त्याग करता है . सभी धार्मिक जनों ने इस बात को याद रखनी चाहिए .
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