उत्तम पुरुषों की सेवा भक्ति करना उसे वेयावच्च कहते है .
तीन बातें हैं .
१ .
साधु साध्वीजी भगवंतों की भक्ति , आहार पानी के द्वारा करनी चाहिए .
साधु साध्वीजी भगवंतों की भक्ति , औषधि अर्पण के द्वारा करनी चाहिए .
साधु साध्वीजी भगवंतों की भक्ति , वस्त्र – पात्र आदि सामग्री देकर करनी चाहिए .
२ .
तपस्वी जनों की भक्ति विविध रूप से करनी चाहिए .
तपस्या चालु हो तब भी भक्ति करनी चाहिए . तपस्या का पारणा हो तब भी भक्ति करनी चाहिए .
३ .
वयोवृद्ध उपकारी की सेवा करनी चाहिए .
वयोवृद्ध धर्मात्मा की सेवा करनी चाहिए .
रोग ग्रस्त उपकारी की सेवा करनी चाहिए .
रोग ग्रस्त धर्मात्मा की सेवा करनी चाहिए .
ज्ञान दाताओं की सेवा करनी चाहिए .
ज्ञानी जनों की सेवा करनी चाहिए .
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स्वाध्याय –
१ . वेयावच्च किसे कहते है ?
२ . वेयावच्च का प्रथम प्रकार क्यां है ?
३ . वेयावच्च का द्वितीय प्रकार क्यां है ?
४ . वेयावच्च का तृतीय प्रकार क्यां है ?
जैन सिलेबस : तप आचार . ९ : वेयावच्च
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