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जैन सिलेबस : चारित्र आचार . ३ : एषणा समिति

एषणा समिति का पालन मुख्य रूप से साधु साध्वी के द्वारा होता है . आहार ग्रहण संबंधी विविध मर्यादाओं का पालन करना यही एषणा समिति है .

तीन बातें हैं .

१ .
साधु साध्वी जो आहार ग्रहण करते हैं वो आहार , दोष रहित होता है . गोचरी के ४२ दोष बताये गए हैं . आहार ग्रहण की विधि ४२ दोष से रहित बनी रहे इसकी जो सावधानी रखी जाती है उसे ही एषणा समिति कहा जाता है .
२ .
जैन जब , आहार – औषध – विलेपन – वस्त्र आदि लेता है तब जैन को ध्यान रखना है कि आहार – औषध – विलेपन – वस्त्र आदि के घटक द्रव्य में पंचेंद्रिय जीव की हिंसा से निर्मित द्रव्यों का उपयोग हुआ न हो .
३ .
जहां अभक्ष्य एवं अकल्प्य आहार बना हो , बनता हो वहां जाकर जैन आहार ग्रहण करे यह उचित नहीं है . ऐसी जगह से जैन दूर रहे यही अच्छा है .

स्वाध्याय –
१ . एषणा समिति किसे कहते है ?
२ . एषणा समिति का प्रथम नियम क्यां है ?
३ . एषणा समिति का द्वितीय नियम क्यां है ?
४ . एषणा समिति का तृतीय नियम क्यां है ?

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